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Sunday, December 18, 2011

मित्र

मित्र तुम बहुत याद आते हो,
बचपन की उन यादों में ,
भोली प्यारी मुस्कानों में,
एक छवि तुम्हारी प्यारी सी,
अनोखी, सबसे न्यारी सी,
मीत, सखी, मन के बंधन,
कितना लंबा यूँ साथ हुआ,
स्नेह भरे पथ के दीपक,
अपनी ज्योति से आलोकित करती होगी कई जीवन,
तुम्हारे प्रकाश स्पर्श की स्मृतियों
के गलियारों से,
ध्वनि अभी भी आती है,
मीत तुम बहुत याद आती हो.
-डॉ. अपर्णा शुक्ल

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