भावनाएं बहतीं हैं,
कभी अश्रुपूरित, कभी हास्य मिश्रित,
कभी चोटिल, कभी खिल खिल ,
कभी बोझल, कभी फूल,
कभी कंटीली, कभी सरस,
जो अपने ज्वार भाते में गिराती और उठाती हैं,
मनुष्य को मनुष्य बनाती हैं,
जीवन को को कोमल या कठोर दिशा देती हैं,
भावनाएं देवत्व से तार जोड़ती हैं,
जब ईश्वर की राह में बहती हैं,
जब ईश्वर की राह में बहती हैं.
- अपर्णा वाजपेयी शुक्ल