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Saturday, February 5, 2011

मन

भावनाओं के भंवर में ,
डूबता -उतरता मन,
आशाओं और निराशाओं से,
जूझता- हारता-जीतता-संघर्षरत मन,
कभी आकुल , कभी स्थिर,
सहमत घबराता मन,
जीवन पथ के कन्तंकों से बिंधा हुआ,
आंसुओं के गीलेपन से गला हुआ,
तम के जंजाल को काटने को व्याकुल मन।
आस्था की ज्योति को संबल बना,
परमात्मा की अनुभूति को संगिनी बना,
अलौकिक ज्योति से फिर हुआ मौन से मुखर,
शरणागत की वीणा ने फिर दिए मधुर स्वर,
आयी जीवन में आह्लाद की लहर, आशाओं के स्वर,
आह्लाद की लहर, आशाओं के स्वर,
आह्लाद की लहर, आशाओं के स्वर.
- अपर्णा शुक्ल

6 comments:

  1. During the very tough experiences of life I witnessed a proximity with Divinity and this poetry is an expression of the same!

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  2. आपका हिंदी ब्लाग जगत में स्वागत है | आपकी लेखनी साहित्य को समृद्ध करे ,हार्दिक शुभकामना है |

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  3. आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
    आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
    इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
    उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
    आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
    और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ "टेक टब" (Tek Tub) पर.
    यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -
    EMAIL KARE
    sanjay.kumar940@gmail.com

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  4. aapke mashware par zaroor amal karne ka prayas karenge!sadar dhanyavaad!

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